छोटे-छोटे लम्हों में वो फिर से उसे पाना चाहता है,
टूटी हुई खामोशियों में अपना नाम सुनना चाहता है।
जिसे कभी छोड़ आया था वक्त की गलियों में चुपचाप,
अब उसी की मुस्कान में फिर से जीना चाहता है।

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छोटे-छोटे लम्हों में वो फिर से उसे पाना चाहता है,
टूटी हुई खामोशियों में अपना नाम सुनना चाहता है।
जिसे कभी छोड़ आया था वक्त की गलियों में चुपचाप,
अब उसी की मुस्कान में फिर से जीना चाहता है।
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