छुपा के रखा है दिल ने, इक नाम साँसों में,
जिसे चाहा वही आज बेगाना है जज़्बातों में।
सज रही हैं महफ़िलें, मुस्कुराहटों की ओट में,
पर आँखें आज भी भीगी हैं खामोश रातों में।
इक महफ़ूज़ झूठ ने, सब रिश्ते बदल डाले,
और इक अधूरी सच्चाई, अब भी दफ़न है बातों में।

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