छलकोंगे अब अश्क़, तो इल्ज़ाम भी मिलेगा,ख़ामोश रहोगे, तो बदनाम भी मिलेगा।सच कह भी दो तो कौन यक़ीन करेगा,यहाँ झूठ के पीछे इज़्ज़त का नाम भी मिलेगा।क़त्ल तो आँखों ने देखा था वफ़ा का,अब हर साए में ग़म का पैग़ाम भी मिलेगा।जो अपने थे, वही पराए बन बैठे,अब हर रिश्ते में थोड़ा इंतक़ाम भी मिलेगा।इश्क़ ने माँगी थी बस थोड़ी सी जगह,मगर ताज के नीचे इल्ज़ाम भी मिलेगा।
The sun had risen, painting the Oberoi Mansion in warm gold, yet the warmth failed to reach the hearts within.

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