08

{ 8 }

छुपी हुई सज़ाएं, ख़ामोश लम्हों में रहती हैं,हर बात की सदा, अब धड़कनों में बहती है।

कभी जो चाँद सा था, वो चेहरा क्यों बुझा सा है,रातें भी अब तो जैसे, तेरी रूह से डरती हैं।

Write a comment ...

authorxanshi

Show your support

To do something with my heart

Write a comment ...